मेरा समाज कहा है....
कहने को तो ये साथ चलता है।।
पर किसी की तरक्की देख कर उससे ही जलता है।।
तरक्की पाने के ख्वाब रखने वालोंं का अहसास कहा है।।
पर मै पूछता हु तरक्की पाने वाले लोगों के लिए हाथ बढ़ाने वाला मेरा समाज कहा है।।
एक प्रेम विवाह पर आवाज़ उठाने वाला।।
हजारों बलात्कारो पर भी मौन है।।
सड़को पर मोमबत्तिया लेकर चलने से पहले की आवाज़ कहा है।।
मै पूछता हु खुद के अंदर के दरिंदे को मारने वाला मेरा समाज कहा है।।
कहना तो बहुत है सभी को सभी से।।
जो सबके जज्बातों(मन की बातें)को बया कर दे।।
प्रदीप वो आजकल अल्फाज कहा है।।
क्यों कोई किसी को नहीं समझता पता नहीं मेरा समाज कहा है।।
मेरा समाज कहा है।।
✍️प्रदीप सनिशरे🕊️ > khushix18 "🌻
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