जैसे भभकता हुआ प्रदीप भी अब बुझते जा रहा है।।
लोगों को डर लगने लगा है मेरी कामयाबी का।।
हर रोज सुलझता है पर हर बार उलझते जा रहा है।।
मेरे बदले से बर्ताव से मेरा चरित्र भी बदलते जा रहा है।।
मेरे अंदर का मेरा सबसे अच्छा वजूद भी अब मिटते जा रहा है।।
सबके साथ वो खुश रहने वाला लड़का अब अकेले में वक्त बिता रहा है।।
अपने सपनो को छोड़ दिया अब ख्वाहिशो को भी अधूरा छोड़ रहा है।।
खुशियों से भरा रहता था दामन सदा जिसका अब गमो से भी अटूट रिश्ता जोड़ रहा है।।
पता है जिन्दगी ऐसे ही जीना है तो जीने का तरीका बदल रहा है।।
खुद की जिन्दगी में अँधेरा है पर प्रदीप जलकर भी औरों को रौशनी दे रहा है।।
अब अपनें अपनो की खातिर वो लड़का जिन्दगी को हर रोज एक नया इम्तिहान दे रहा है।।
Khushix18->✍️प्रदीप सनिशरे🕊️
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