Vo rista banakar hi Galti ki <♥️

वो रिश्ता बनाकर ही गलती की।। किसी के दिल में जाकर ही गलती की।। एक आशियाना बनाकर कितना रोया।। एक आशियाना बनाकर ही गलती की।। तुझसे दूर होने का दुःख मनाना था।। वो तो दिल ही दिल में हो गया।। जलता रहा प्रदीप रात के अँधेरे में भी।। गज़ल लिखी और फिर सो गया।। यही राज है मेरी सर्दी और खासी का।। किसी के मरने के बाद पता चलता है किसी की उदासी का।। अब मेरी मुस्कान भी मेरे चेहरे से रूठ रहा है।। जैसे अंदर से कुछ टूट रहा है।। कितना बचा है ज़रा देख के तो बताओ।। एक रिश्ता जो थोड़ा थोड़ा मेरे अंदर घुट रहा है।। ✍️प्रदीप सनिशरे🕊️Khushix18 🌻

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